
ये शहर कुछ अजीब सा है,लोग भागते रहते हैं, सुकून के दो पल भी नहीं नसीब होते उन्हें,...
अक्सर छत पे खड़े होकर मैंने, लोगों को आते-जाते देखा है, किसी को कोई मतलब नहीं किसी से...
सब अपनी धुन में रहते हैं,
एक-दूसरे से अनजान.. बस भागते रहते हैं...उनकी दुनिया में जैसे कुछ बचा ही नहीं है..
सुबह नौ बजे सारी भीड़ सडकों पर आ जाती है,
और बारह बजते ही सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है,
यहाँ लोग मुस्कुराते कम हैं, शायद हँसने के लिए फुर्सत नहीं है उनके पास ...
खुद को खोकर जाने क्या पाने की ख्वाहिश है उनकी,
रिश्तों के मायने भी झुठला चुके हैं ये,
ऊंची-ऊंची इमारतों में रहते हैं,
पर अन्दर से जाने कितने खोखले हैं,
शहर के शोर में खुद को डुबा देते हैं,
इस शोर में अपने दिल की आवाज़ तक नही सुन पाते,
जाने क्या चाहते हैं अपने आप से??
ये शहर रंगीन बहुत है .. सादगी से इसका कोई लेना-देना नहीं है,
सब कुछ है इन लोगों के पास , अगर नहीं है तो बस सुकून ...
जिसके लिए वो सब कुछ कर रहे हैं
ये शहर सच में कुछ अजीब सा है!!!!
iski har ek line me sachchai hai.....we r jst running running n running.....
ReplyDeletedhanyawaad.. bangalore sach me ajeeb sa hai..!!
ReplyDeleteAlready read it somewhere...nice post
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