Monday, May 3, 2010

ठोकर


जीवन का सच बताती है ठोकर,
गिरकर उठना सिखाती है ठोकर,
समय का मूल्य समझाती है ठोकर,
कड़वे बोल दोहराती है ठोकर...
जो ठोकर ना मिलती,
तो यूँ चल पाना कठिन था...
बिना ठोकर,
कदमों का संभल पाना कठिन था,
पथरीले रास्तों को समतल बनाती है ठोकर,
विषैले वचनों को सहना सिखाती है ठोकर,
जीवन का सच दिखाती है ठोकर.........
गिर-गिर कर उठना सिखाती है ठोकर............

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