Saturday, October 2, 2010


It’s hard to reveal,

How do I feel,

When my love ignores

And patience touches its shores,

Friends now come and go,

Like a business of show,

Love some time was very vast,

Now it has become a thing of past

Feeling so helpless and tired

As if every moment was hired

Why could I not touch your heart,

Why could I not become your life’s part?

Trying to ignore you as much as I can do,

Can you tell me why I love you???

Tuesday, September 28, 2010

MIRAGE


Walking alone through deserted land,

All that I could see was a sea of sand,

Travelling miles towards an endless goal

And tyring to put together body and soul,

Hot, scorching and bright in the sun,

Thirsty and exhausted I was almost done,

Suddenly came the moment of the day,

When I could see a lake far away,

I resumed the journey that I have paused,

The sight of water relieved the pain that the journey had caused,

Again I walked miles towards the lake,

And soon got to realise that all was fake,

I wondered how beautiful it was

To follow the never ending dreams like MIRAGE..!!!!!

Friday, September 3, 2010

BLACK HOLE


The world of thoughts was becoming dim,

The law of nature became a sin,

The same boat was boarded by love and hate,

Life was getting scared of its fate.

Heart screamed at the piercing of the soul,

Deep down the trust, they created a black hole…

Sounds emerging and lasting short,

Ways once visible were immediately lost,

Trust is now left betrayed,

Devil is then, being prayed.

They followed the darkness, forgetting their goal,

And the world of love sank into the black hole……

Friday, August 27, 2010

Life now…..


With lots of dreams, I left my home,

For the miles that I had to walk alone,

Smile on my lips, that was unknown,

Tears in my eyes were hardly shown..

With butterflies in my stomach flying high,

I stepped at the portals of new life, and took a deep sigh,

I wanted to relax, but failed to even try,

To the past life of mine, I then, said good bye…

With lots of rays in the eyes,

The sun of hope began to rise,

The thought of winning the world then revives,

But the fear of losing myself at once strikes…

Friendship now becomes an operational plan,

I am confused if it is the dawn,

Love somehow remains a strategic plan,

I do not know what conclusion is to be drawn…

But, still I have a new life geared up to start,

Life is never ending and all this is a just a part…

Wednesday, June 16, 2010

The glittering world has made you so blind

That the love in my eyes,u didn’t find…

All the promises,I kept

Then why was I left

Far behind that ugly road

With the anger that your eyes showed

I spoke just out of rage,

Couldn’t find the other ways to express…

I looked into your eyes and sank,

That was the moment when I went blank,

Whenever you walked away,

I always wanted you to stay,

I grant when you ask to leave,

Because you’ll come back, I always believe..,

Was my heart so worthless

That you threw it into the trash?

My heart was beating so fast,

I didn’t know how long would it last.

The cost of all my sins is being paid

I have to live with your hate…

The one I love from the core

The one I truly adore

His love will not be mine anymore…

The glittering world has made you so blind

That the love in my eyes, you didn’t find…

Tuesday, June 15, 2010



NEVER ALLOW SOMEONE TO BE YOUR PRIORITY


WHILE ALLOWING YOURSELF TO BE THEIR OPTION.....

Sunday, June 13, 2010

अवहेलना की प्रताड़ना से
झुलसे मन को समझा रही हूँ मैं
जीवन की भूल-भुलैया में
स्वयं को भटकने से बचा रही हूँ मैं
अपना अस्तित्व खो रही हूँ मैं

दूसरों की दृष्टि में व्याप्त
हीन-भाव को झुठला रही हूँ मैं
अपनों के प्रेम में घुली घृणा
की झलक को अपना रही हूँ मैं
अपना अस्तित्व खो रही हूँ मैं

रक्त में घुले तिरस्कार के विष को
शरीर में फैलने से रोक रही हूँ मैं
किंतु अपनी आत्मा को आत्म-ग्लानि
की अग्नि में जलने को झोंक रही हूँ मैं
अपना अस्तित्व खो रही हूँ मैं.....

Tuesday, June 8, 2010

ज़िंदगी


कोई खूबसूरत सा राग है ज़िंदगी,
आँखों में रखा कोई ख़्वाब है ज़िंदगी,
टुकड़ों में जी लो तो बेहिसाब है ज़िंदगी,
एक पल में जी लो तो शबाब है ज़िंदगी|

उम्मीदों की अनकही ज़ुबान है ज़िंदगी,
फूलों की मासूम मुस्कान है ज़िंदगी,
सदियों की लंबी दास्तान है ज़िंदगी,
ख़ुद अपनी मंज़िलों से अनजान है ज़िंदगी|

चाहतों का सुनहरा साज़ है ज़िंदगी,
खामोशियों की धीमी आवाज़ है ज़िंदगी,
मुस्कुराहट का अलग अंदाज़ है ज़िंदगी,
कोई समझ ना पाए जिसे, वो दिलचस्प राज़ है ज़िंदगी......

Saturday, June 5, 2010

अभिव्यक्ति


बिजली की झिड़कियों पर
अश्रूपूरित मेघों का गरजना अभिव्यक्ति है|
तबले की हर थाप पर
घुंघरू से बँधे पैरों का थिरकना अभिव्यक्ति है|
सुख में,दुःख में,
नयनों में घुले असंख्य मोतियों का बहना अभिव्यक्ति है|
हृदय के हर कंपन्न में,
साँसों का संगम अभिव्यक्ति है|
अंतर्मन में विलीन सुंदर स्वप्न का
बंद आँखों में तैरना अभिव्यक्ति है|
मन में चलती उथल-पुथल पर
होठों की मंद मुस्कान अभिव्यक्ति है|
ज्ञान के शिखर पर
अज्ञानता से भरी उथली बातों का आरंभ
अभिव्यक्ति है|

Thursday, May 27, 2010

मेरा बचपन


वो एक पल का बचपन मेरा,
अब भी मुझे याद है,
वो धूप में घर-घर खेलना,
वो खेल खेल मे झगड़ना,
वो प्यारा-सा बचपन,
मेरा अब भी मुझे याद है|
वो गर्मी की दोपहर में बंद दरवाज़ों पे दस्तक देना,
वो सोते हुए लोगों को जगाकर छिप जाना,
वो नटखट-सा बचपन मेरा,
अब भी मुझे याद है|
वो भइया के कंचे, और वो गली के दोस्त,
माँ को सख़्त नापसंद थे जो,
कंचे खेलने पर भइया को सताना,
उस से अपनी हर बात मनवाना,
वो मासूम-सा बचपन मेरा,
अब भी मुझे याद है|
वो भइया का चले जाना,फिर कभी लौट कर ना आना,
वो मेरा भगवान को उसे वापस भेजने के लिए मनाना,
वो अधूरा-सा बचपन मेरा,
अब भी मुझे याद है,
वो उसका बिना बोले जाना,
मेरे बचपन का अधूरा रह जाना,
अब भी मुझे याद है....

Tuesday, May 25, 2010


रिमझिम बारिश में भीगी थी कई बार,
बूँदें तो आज भी भिगोती हैं तन को,
पर मन उससे अछूता क्यों है?
दिल तो पहले भी टूटता-जुड़ता रहता था,
पर अब किसी से प्यार करना भी समझौता क्यों है?

ख्वाहिशें कई हैं जो पूरी नहीं हो पाईं,
पर अब उनके अधूरे होने का एहसास क्यों है?
चाँद को पाना तो कब से चाहती थी,
पर अब उसके ना मिलने से मन इतना उदास क्यों है?

गलियों में अक्सर होती थी ख़ामोशी पहले,
पर अब उसमें अजीब-सी तन्हाई क्यों है?
दूरियाँ तो पहले भी थीं,
पर अब दिलों के बीच ये गहरी खाई क्यों है??

Monday, May 24, 2010

मैं तुझको जीने दूँगी..


खुशियों का संसार नहीं पर, थोड़ी खुशियाँ माँगी थीं,
महलों सा घरबार नहीं पर, एक छोटी सी गुड़िया माँगी थी,
पर आने से पहले ही वो बोली," माँ, मुझको जीवन मत दो,
जहाँ उगे हैं पग पग हवस के काँटे, मुझे तुम वो उपवन मत दो|"
मैं बोली," तू आ जा लाडो, मैं तुझको जीना सिखा दूँगी,
पग पग बिखरे काँटों से फूलों को चुनना बता दूँगी..
जीवन के इस रण में तेरा साथ कभी ना छोड़ूँगी,
तू कर ले विश्वास मुझ पर,ये वचन कभी ना तोड़ूँगी|
तू जीवन की कठिन राह पर यूँ ही बढ़ती जाएगी,
आए जो बाधाएं भी तो, तू उनसे लड़ती जाएगी|
विष का प्याला देकर तुझको मीरा नहीं बनने दूँगी,
ना अग्नि पर चलकर तुझको सीता सा जलने दूँगी,
साथ चलूंगी तेरे पग पग, तुझको ना गिरने दूँगी,
दुनिया में तू आ जा गुड़िया,मैं तुझको जीने दूँगी...
मैं तुझको जीने दूँगी...|"

Thursday, May 20, 2010

कमी


हमने तो आपको दोस्त ही माना,
पर शायद कहीं कोई कमी रह गयी,
हमने आपको पलकों पे बिठाया,दिल में बसाया,
पर शायद कहीं कोई कमी रह गयी..
हम तो बस आपकी दोस्ती चाहते थे,
पर आपको अपना बना ना सके,
अगर कभी कहीं मौका मिले तो बताईएगा कि
कहाँ पर, कैसी कमी रह गयी,
हम आपके दोस्त ही हैं दुश्मन तो नहीं,
यही सोचकर हमारी आँखों में नमी रह गयी,
की आख़िर कहाँ पर कमी रह गयी..

Friday, May 7, 2010

तमन्ना


तमन्ना थी आशियाने की,
चली आँधियाँ ज़माने की,
अपना घर छोड़ दिया,
उनका घर बसाने को,
वो छोड़ कर चल दिए ,
ज़माने की ठोकर खाने को,
जिनके प्यार मे दुनिया से हम बेगाने हो गए,
पास आकर हमसे ही वो अनजाने हो गए,
तमन्ना थी,उनके दिल मे बस जाने की,
और आज आरज़ू है बस उनसे एक बार मिल पाने की...
कभी तमन्ना थी आशियाने की......................

Monday, May 3, 2010

ठोकर


जीवन का सच बताती है ठोकर,
गिरकर उठना सिखाती है ठोकर,
समय का मूल्य समझाती है ठोकर,
कड़वे बोल दोहराती है ठोकर...
जो ठोकर ना मिलती,
तो यूँ चल पाना कठिन था...
बिना ठोकर,
कदमों का संभल पाना कठिन था,
पथरीले रास्तों को समतल बनाती है ठोकर,
विषैले वचनों को सहना सिखाती है ठोकर,
जीवन का सच दिखाती है ठोकर.........
गिर-गिर कर उठना सिखाती है ठोकर............

Sunday, May 2, 2010

हँसकर जीना जीवन को........


हँसकर जीना जीवन को,
मैंने तुमसे सीखा है,
खोकर पाना खुशियों को,
मैंने तुमसे सीखा है.....
तुम जो छू दो मन को मेरे,
चाँद सितारे झुक जाएं,
आकर बस जाओ दिल में तो,
ये धरती भी शायद रुक जाए,
दिल हारकर भी जीतना,
मैंने तुमसे सीखा है,
हँसकर जीना जीवन को मैंने तुमसे सीखा है.....
साथ रहो पल-दो-पल तो,
फूलों की तरह मैं खिल जाऊं,
थाम लो दामन मेरा तो,
दो रंगों की तरह मैं मिल जाऊं,
सपनों को जीना हक़ीक़त में,
मैंने तुमसे सीखा है..........
हँसकर जीना जीवन को मैंने तुमसे सीखा है.................

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मासूम मोहब्बत का बस इतना फसाना है,
काग़ज़ की हवेली है,बारिश का ज़माना है...

क्या शर्त-ए-मोहब्बत है,
क्या शर्त-ए-ज़माना है,
आवाज़ भी ज़ख्मी है, गीत भी गाना है....

उस पार उतरने की उम्मीद बहुत कम है,
कश्ती भी पुरानी है,
तूफान भी आना है...

समझे कि ना समझे वो अंदाज़ मोहब्बत के,
एक शख्स को आँखों से एक शेर सुनाना है....

भोली सी अदा कोई फिर इश्क़ की ज़िद्द पर है,
फिर आग का दरिया है और डूब के जाना है........

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Saturday, May 1, 2010

बिना सिर-पैर की कविता


थी राह देखती तेरी, लेकर मधुर आस मिलन की,
किंतु सहृदय होकर तुम सुधि ना ले सके मन की,
नित इतना निष्ठुर बनकर कब तक रह लोगे एकाकी,
निज उर की कोमल मधु से वंचित रख लोगे साकी,
है विजय तुम्हारी फिर भी,
ये मेरी हार नही......
जल-जल कर पतंगे का मरना,
क्या ये सच्चा प्यार नही....
क्या ये सच्चा प्यार नही...
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Thursday, April 29, 2010

WHITE

white is the colour of hope,
it is the colour of joy,
the colour of peace..
but i truly find a sense of simplicity in you..
the seven colours merging together to make a single you ..
having every colour in your heart,
yet you are so simple and sober that
you motivate me to be a true human from inside...
to be free from the false pride..
i wish i were "YOU",
absorbing the seven vices and
reflecting peace n serenity as a single virtue...